हमारे देश में आयुर्वेद पद्धति काफी पुरानी है, आयुर्वेद भारतीय उपमहाद्वीप की एक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है। ऐसा माना जाता है कि यह प्रणाली भारत में 5000 साल पहले उत्पन्न हुई थी। यही नहीं आज भी यह हमारा साथ बना हुआ है। आयुर्वेद की बात करें तो इसमें कई सारी ऐसी जड़ी बूटियां पाई जाती है जो सेहत के लिए काफी लाभदायक होती हैं जैसे कि तुलसी, नीम, गिलोय, भृंगराज आदि, जिनमें से आज हम विशेष रूप से आपको भृंगराज के बारे में बताने जा रहे हैं, यही नहीं हम आपको इसके फायदे व नुकसान दोनों के बारे में बताएंगे।
क्या होती है भृंगराज?
भृंगराज को आप एक बेहद ही विशेष औषधी मान सकते हैं जिसके प्रयोग से शरीर के अंदर और शरीर के बाहर होने वाली बीमारियों को दूर किया जाता हैं, आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में इसका प्रयोग बालों जैसी सामान्य समस्या से लेकर किडनी जैसी गंभीर बीमारियों के लिए भी किया जाता हैं। भृंगराज को अक्सर बहुत से नाम से जाना जाता हैं जैसे कि माका, मार्कव, बंगरा, केसुती, बाबरी, अजागारा, अंगारक इत्यादि।

क्या हैं इसके औषधीय गुण ?
भृंगराज के अंदर बहुत से एन्टी ऑक्सीडेंट होते हैं जैसै कि एल्कलॉइड और फ्लेवनॉयड, इनका मुख्य कार्य शरीर में से ऐसे पदार्थों को बाहर निकालना होता हैं जो शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं और शरीर के लिए बहुत नुकसानदेह होते हैं। इसके अलावा ये एंटीऑक्सीडेंट हमारे लिवर को नुकसान पहुंचाने वाले हानिकारक पदार्थो से हमारें लिवर को बचाते हैं।
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कैसे किया जाता है भृंगराज का सेवन?
मुख्य रूप से भृंगराज तीन रूपों में उपलब्ध होता है, जिसमें सूखी पत्तियां, तेल और कैप्सूल आते हैं। इसके सेवन करने के लिए आप चाहे तो भृंगराज की पत्तियों का पेस्ट बनाकर बनाकर उसमें तेल मिलाकर इसका सेवन कर सकते हैं। वहीं ये भी बता दें कि भृंगराज तेल को भी इस्तेमाल में लाया जा सकता हैं। इसके अलावा भृंगराज के कैप्सूल भी मार्केट में उपलब्ध हैं जिनका प्रयोग आप किसी भी स्वास्थ संबंधी समस्या को दूर करने के लिए कर सकते हैं लेकिन हां ये आवश्यक होगा कि आप इसका सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें।
कहा जाता है कि भृंगराज के नियमित सेवन से शरीर की इम्यूनिटी पावर मजबूत होती है। ये एक तरह की देशी जड़ी बूटी हैं और अगर आप हर रोज 2 से 3 ग्राम की मात्रा में 3 से 4 माह तक इसके पाउडर का सेवन खाना खाने के बाद शहद में मिलाकर करते हैं तो यह आपके शरीर की शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती हैं और हमारें शरीर को रोगों से लड़ने की ताकत मिलती हैं।

भृंगराज के फायदे और नुकसान
अब बात करते हैं इसके फायदे व नुकसान दोनों की, तो बताते चलें कि भृंगराज का सेवन हमारे शरीर के लिए बेहद लाभकारी होता है। इसे आप ऐसे समझ लें कि अगर आपके शरीर की त्वचा कहीं से कटी, छिली या फिर चोट लग गई है तो आप वहां भृंगराज की पत्तियों को घिस कर लगाएंगे तो राहत मिलेगी।
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भृंगराज के अंदर ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो शरीर में वात विकार और कफ को कम करने में मदद करते हैं, भृंगराज जिसे कि फाल्स डेजी भी कहते हैं। जो कि हमारे शरीर में मौजूद किडनी व लिवर के लिए लाभदायक होती है। भृंगराज की जड़ की मदद से शरीर में मौजूद नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों को बाहर निकालने के साथ-साथ शरीर की कार्यप्रणाली की गतिशीलता को भी सही रखने में मदद मिलती हैं।
लेकिन इसके साथ ही साथ आयुर्वेद के अनुसार भृंगराज का सेवन हमेशा एक निश्चित मात्रा में ही करना चाहिए, निश्चित मात्रा से अधिक सेवन करने से पेट में समस्या उत्पन्न हो सकती हैं, अगर कोई महिला गर्भवती हैं या नवजात शिशु को स्तनपान कराती हैं तो केवल चिकित्सक के परामर्श के बाद ही भृंगराज का इस्तेमाल करना चाहिए।
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