हिंदु धर्म में कई सारे पर्व व त्योहार आते हैं जिनमें से कुछ काफी ज्यादा लोकप्रिय होते हैं। जैसा कि आप सभी जान ही रहे होंगे कि इस समय पितृ पक्ष का महीना चल रहा है। दअरसल 17 सितंबर जिस दिन पितृपक्ष खत्म होगा उसी दिन आश्विन माह की अमावस्या भी पड़ रहा है जिसे सर्व पितृ अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन से श्राद्ध खत्म होता है और इसलिए इस दिन पितृों को विदा कर दिया जाता है। इस साल सर्व पितृअमावस्या 17 सिंतबर की है।
सर्व पितृ अमावस्या का महत्व
शास्त्रों की मानें तो इस दिन उन पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती है। इसके अलावा यदि किसी का श्राद्ध भूल गए हैं तो इस दिन उनका श्राद्ध किया जाता है। यही कारण है कि इस दिन को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है। यही नहीं इसके अलावा इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु पूर्णिमा, अमावस्या और चतुर्दशी के दिन होती है। यही कारण है कि इस दिन का महत्व दान पुण्य के लिहाज से बेहद खास माना जाता है। कहा जाता है कि पितृ अमावस्या के दिन पितृ अपने बेटे और परपोते को आशीर्वाद देते हुए अपने लोक जाते हैं। घर की सारी नेगेटिव एनर्जी समाप्त हो जाती है और वास्तुदोष में कमी आती है।

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सर्व पितृ अमावस्या समय
अमावस्या तिथि शुरू: 19:58:17 बजे से (सितंबर 16, 2020)
अमावस्या तिथि समाप्त: 16:31:32 बजे (सितंबर 17, 2020)
पितरों के तर्पण की सही विधि
अब एक और समस्या है जो उत्पन्न होती है और वो है पितरों के तर्पण की सही विधि की, जो कि हर किसी को ज्ञात नहीं होता। तो हम बताएंगे कि आखिर क्या है पितरों के तर्पण करने की सही विधि, इसके लिए आपको सबसे पहले सर्व पितृ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनना होगा, फिर पितरों को श्राद्ध देना होता है। अपने परिजनों का पिंडदान या तर्पण जैसा अनुष्ठान किया जाता तब इसमें परिवार के बड़े सदस्यों को करना चाहिए। पितरों को तर्पण के दौरान जौ के आटे, तिल और चावल से बने पिंड अर्पण करना चाहिए।
सर्व पितृ अमावस्या के दिन करें ये उपाय

आप चाहे तो पितृ पक्ष वाले दिन कुछ उपाय कर सकते हैं, कहते हैं कि पितृ पक्ष की अमावस्या पर जरूरतमंद को धन और अनाज का दान करने से पुण्य मिलता है। इच्छानुसार आप कपड़े भी दान कर सकते हैं। इसके अलावा मंदिर में या गौशाला में भी दान करना भी शुभ माना जाता है। अमावस्या की शाम घर के मंदिर में और तुलसी के पास दीया जलाएं। वहीं मुख्य द्वार पर और घर की छत पर भी दीया जलाकर रखें। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और चारों तरफ सकारात्मक वातावरण बनता है।
पीपल की सेवा और पूजा
सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गीता के 7वें अध्याय का पाठ करने का विधान है। इस दिन पीपल की सेवा और पूजा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। इस निमित्त लोटे में दूध पानी काले तिल शहद और जौ मिला लें और पीपल की जड़ में अर्पित कर दें। ऐसा करके अपने पितृ के लौटने से पूर्व उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है।
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