मौसम में बदलाव के साथ ही अब नई नई बीमारियाँ भी सामने आने लगी हैं जैसे सर्दी, बुखार, जुखाम, आदि। हालाँकि इसकी कोई खास वजह नहीं होती क्योंकि बदलते मौसम के साथ ऐसा तक़रीबन सभी के साथ होता है जिसमे बुखार और सर्दी आम है। हालाँकि थोड़ी से सावधानी अपनाकर इससे बचा भी जा सकता है। लेकिन कुछ ऐसी बीमारियाँ या समस्याएँ भी हैं जो आम नही होती और उन्हें कभी हल्के में लेना भी नहीं चाहिए, ऐसी ही एक बीमारी है रूमेटिक फीवर | Rheumatic fever जो एक इंफ्लामेट्री डिसीज है।
बता दें कि इस बीमारी के शुरुआती चरण में होने वाले संक्रमण को स्कारलेट फीवर के नामा से जाना जाता है। हालाँकि यह कोई बहुत बड़ी बीमारी नहीं होती लेकिन अगर समय पर इसका उचित इलाज नहीं किया गया तो संभव है कि रुमेटिक फीवर होने की आशंका काफी हद तक बढ़ जाती है। असल में ये समस्या स्ट्रेप्टोकोकस नमक बैक्टीरिया की वजह से होती है। शुरुवात में तो यह सामान्य रहता है लेकिन एक बार अगर यह गंभीर रूप ले लेता है तो यह बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।
Spark.live पर मौजूद आहार विशेषज्ञ सोनाली से संपर्क करने के लिए यहां क्लिक करें

आप अगर जानना चाहते हैं कि वजन घटाने में कौन सा इन दोनों में से कौन सा डाइट आपके शारीरिक जरूरत के अनुसार सही रहेगा तो हमारे नेटवर्क पर मौजूद डाइटिशियन सोनाली मलिक आपकी मदद कर सकते हैं। वो आपको एक परफेक्ट डाइट चार्ट भी बनाकर दे सकते हैं इसलिए हमारे डाइटिशियन सोनाली मलिक से संपर्क करें।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रूमेटिक फीवर में इससे संक्रमित व्यक्ति के शरीर का इम्यून सिस्टम पूरी तरह से असंतुलित हो जाता है। इसकी वजह से शरीर में मौजूद स्वस्थ टिश्यूज नष्ट होने लगते हैं नतीजन आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होते जाती है और आप कमजोर होते जाते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं इसकी वजह से हार्ट वाल्व और हार्ट फेलियर के साथ-साथ ह्रदयघात जैसी गंभीर समस्या भी हो सकती है। इस समस्या के इलाज में आपको जलन, दर्द और अन्य तरह के लक्षणों से निजात पाया जा सकता है।
यह भी पढ़ें :फीवर में डायट: कैसा होना चाहिए, क्या खाएं व क्या नहीं खाएं ?| What should be eaten in Fever?
रूमेटिक फीवर| Rheumatic fever
बताना चाहेंगे कि रूमेटिक फीवर 5 वर्ष से लेकर 15 वर्ष तक के बच्चों में बेहद आम बात है। हालाँकि ये सिर्फ बच्चों में ही नहीं होता बल्कि वयस्कों को भी हो सकता है। इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए आप सम्बंधित डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

रूमेटिक फीवर के लक्षण| Syptoms Of Rheumatic fever
रूमेटिक फीवर के लक्षण आमतौर पर बेहद सामान्य ही होते हैं, यहाँ पर हमने कुछ को सूचीबद्ध किया है :
बुखार
घुटनों, टखनों, कोहनी और कलाई में, पेनफुल और टेंडर ज्वाइंट्स
एक जोड़ से दूसरे जोड़ में दर्द
गले में खराश
छाती में दर्द
जी मिचलाना
उल्टी
सांस फूलना
लाल, गर्म या सूजे हुए जोड़
त्वचा के नीचे गांठ का बनना
सीने में दर्द
दिल की असामान्य ध्वनि
थकान
पेनलेस रैश
कंधे में झटकन महसूस होना
अनकन्ट्रोलबल बॉडी मूमेंट होती है।
वैसे आपको ये भी बता दें कि सामान्य लक्षणों के अलावा रूमेटिक फीवर में लक्षण अलग भी हो सकते हैं। कभी कभी ऐसा भी हो सकता है कि बीमारी के दौरान लक्षण बढ़ भी सकते हैं या फिर कई ऐसे लक्षण भी हो सकते हैं जिसके बारे में आपको पता ही ना हो। यदि आपको इससे मिलते जुलते भी कोई लक्षण दिखते हैं तो ऐसे में आप्को तत्काल चिकित्सक से परामर्श कर लेना चाहिए।
यह भी पढ़ें : कीटो डाइट: जानें इसके फायदे व नुकसान दोनों ही| Keto Diet: Know its advantages and disadvantages
डॉक्टर से कब मिलें ?
देखा जाए तो रूमेटिक फीवर एक तरह का सामान्य बुखार की तरह ही है लेकिन यह इससे थोड़ा भिन्न भी हो सकता है। यदि आपको उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी दिखे तो बिना देरी किया आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इस बात से आपको बेहतर अवगत होना चाहिए कि हर किसी का शरीर अलग तरीके से काम करता है, ऐसे में किसपर यह बुखार कितनी जल्दी या किस हद तक असर कर सकता है इसके लिए आपको डॉक्टर उचित सलाह देगा।

क्यों होता है रूमेटिक फीवर ?
चिकित्सकों के रिसर्च में यह पता चला है कि ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस नामक बैक्टीरिया की वजह से गले के संक्रमण के बाद रूमेटिक फीवर की संभावना बढ़ जाती है। समूह-ए स्ट्रेप्टोकोकस संक्रमण हमारी त्वचा या शरीर को नुकसान पहुंचाता है।
हालाँकि अभी तक के रिसर्च में स्ट्रेप इंफेक्शन और रूमेटिक फीवर के बीच की कड़ी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पायी है, मगर यह बताया गया है कि इस जीवाणु की वजह से हमारे इम्यून सिस्टम पर गहरा प्रभाव पड़ता है। बता दें कि स्ट्रेप जीवाणु में एक प्रोटीन होता है जो शरीर के कुछ टिशूज में पाया जाता है। इसलिए इम्यून सिस्टम की सेल्स (जो आमतौर पर बैक्टीरिया से लड़ती है) वो अपने टिशूज का स्वतः ही इलाज कर सकती हैं।
बताना चाहेंगे कि अगर आपके बच्चे को स्ट्रेप बैक्टीरिया से लड़ने या उसे खत्म करने के लिए एंटीबायोटिक दी जाती है और यदि वो तय समय में दवा लेता है, तो ऐसा करने से इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि रूमेटिक फीवर न हो। लेकिन अगर आपने अपने बच्चे का स्कार्लेट बुखार का इलाज नहीं किया गया है तो इस बात की प्रबल संभावना होती है कि उसे रूमेटिक फीवर हो सकता है।