5:00 PM on Tue, 09 March
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आज जमाने के साथ साथ सबकुछ बदल रहा है , हम भी बदल रहे हैं लेकिन इस बात तो भी समझना जरूरी है कि इस आधुनिक जीवन के साथ हमें अपनी संस्कृति व संस्कार को लेकर चलना भी बेहद जरूरी है।
आज कई युवा ऐसे हैं जो इस बात को नहीं समझ पा रहे हैं और उनके जीवन में तमाम समस्याएं भी उत्पन्न हो रही है। सबसे महत्वपूर्ण बात तो ये है कि हमें ये समझना होगा कि हमारे संस्कृति व संस्कार को संजोने में नारी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ये वाकई में बेहद बड़ा विषय है पर गंभीर भी।
इस वर्कशॉप के जरिए Spark.live पर मौजूद अनुभवी काउंसलर, बाल व किशोर परामर्शदाता व लेखिका निवेदिता सक्सेना आपके सामने कई ऐसी पहलूओं पर चर्चा करेंगी जो हम अनदेखा कर देते हैं और इसकी वजह से हमें अपने जीवन में आगे बढ़ने में तमाम समस्याएं आती हैं।
ये सभी ऐसी समस्याएं हैं जिनकी वजहें जानना बेहद जरूरी है और खुद में बदलाव लाना भी।
निवेदिता सक्सेना बाल कार्यकर्ता हैं, इन्होने वनस्पति शास्त्र में एम. एस. सी. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इन्दौर पूरा किया है। यही नहीं इसके अलावा बीएड व पर्यावरण विज्ञान में डिप्लोमा भी किया हुआ है।
निवेदिता के अनुभव की बात करें तो वो 15 वर्षों से भी अधिक समय से झाबुआ के कैथलिक मिशन हायर सेकेंडरी स्कूल में जीव विज्ञान की शिक्षिका रह चुकी हैं। इन्होने अभी तक लगभग 2000 लोगों को अपने ज्ञान व अनुभव से लाभ पहुंचाया है।
इसके साथ ही साथ वो [लेखिका व स्तम्भकार](http://google( क्या है जिम्मेदारी हमारी) भी है, आवश्यकतानुसार वो समय समय पर समाजिक मुद्दे को ध्यान में रखते हुए लेख लिखती हैं। अभी तक समसामयिक विषयों पर उनके 170 आलेख प्रकाशित हो चुके हैं।
अनुभवी होने के साथ साथ निवेदिता झाबुआ में चाइल्ड वेल फेयर कमिटी जील की चेयरपरसन भी हैं, इतना कुछ अनुभव होने के अलावा एक चीज और इनसे जुड़ा हुआ है और वो ये है कि निवेदिता किशोर न्याय बोर्ड की पुर्व सद्स्य रह चुकी हैं।