Sunday and Thursday - 7 PM
Hindi
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जीवन में शांति और खुशी की तलाश किसे नही रहती. अगर हम खुद से ये प्रश्न करें कि क्या हम खुश हैं. तो अधिकांश उसका जवाब नही आता है. क्योकि हमारा खुश रहना इस बात पर निर्भर करता है कि हम आंतरिक रूप से कितने खुश हैं. संसार के भौतिक सुख जैसे दौलत, ज़मीन, ऐश-आराम, रूप आदि सिर्फ़ हमारी कामना को बढ़ावा देते है. यह सिर्फ़ भोग की वास्तुवें हैं . इससे सिर्फ़ हम अपनी इच्छाओं को बढ़ावा देते हैं. यह बात हमें समझनी चाहिए कि जहां भोग है वहाँ इच्छा है और इनसे ही जन्म लेता है लोभ, लालच, क्रोध, वासना, अपराध, नशाखोरी, बेईमानी जैसी तमाम बुराइयां. भला इतने कुंठित मन के साथ कोई मनुष्य कैसे शांत और सुखी रह सकता है? आंतरिक शांति और खुशी के लिए मन को वश में रखना आवश्यक है. किंतु वर्तमान युग में मन को वश में करने के लिए तीर्थवास, परमात्मा का ध्यान, मन तथा इन्द्रियों का निग्रह, ब्रह्म्चर्यपालन, एकान्त-वास आदि कठोर विधि-विधानों का पालन कर पाना सम्भव नहीं है. इसलिए आज के दौर में कृष्णभावनामृत से प्रसादित गुरु की संगत और सत्संग ही एकमात्र साधन हैं जिसके मध्यम से हम अपने मन को वश में करके जीवन को आनंदित बना सकते हैं.
1- हरे कृष्ण महामंत्र का जप / कीर्तन विधि और महत्व
2- आध्यात्मिक जीवन शैली से प्रशिक्षित करना
3- भगवद्गीता से कृष्ण भावनामृत दर्शन प्राप्त करना
4- तामसिक भोजन के दुष्प्रभाव को जानना
5- अनैतिक आचरण(जुआ, मांसाहार, नाशाखोरी, अवैध संबंध आदि) से मुक्ति
6- सरलतम एवं अधिक सहज जीवन की शिक्षा
7- भगवान की सेवा कर भौतिक जीवन से मुक्ति
प्रभु रूपानुगा दास इस्कॉन मंदिर, देवघर का संचालन करते हैं. उन्हे 2011 में इस्कॉन मंदिर, चारकोप मुंबई में प्रभु लाल गोविंद के सानिध्य और आशीर्वाद प्राप्त हुआ. और उनको यही से मनुष्य कल्याण के लिए कृष्णभावनामृत का प्रचार-प्रसार करने की प्रेरणा प्राप्त हुई. 2018 में परम पूज्य श्री श्री राधा गोविंद गोस्वामी महराज से वृन्दावन में वो दीक्षित हुवे. एवं कृष्णभावनामृत में प्रगति करते हुए उनको भगवदगीता, शास्त्र और पुराणों का ज्ञान प्राप्त हुआ. उन्होने 2017 से इस्कॉन मंदिर, देवघर झारखंड से जनमानस कल्याण के लिए उपदेश देना शुरू किया. उन्हे एमसीए, बीसीए, एचएससी (मैथ साइंस) की योग्यता प्राप्त है. सन्यास जीवन धारण करने से पहले उनकी पहचान एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में थी.
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